Saturday 9 April 2016

बोलें तो कहते हो कि सुन

बोलें तो कहते हो कि सुन
सुनते हैं तो कहो कि बोल

मुंह खोलें तो कहो कि चुप
चुप हैं तो कहते हो बोल

लफ्ज़ तो कड़वे ही कहने हैं
लहज़े में मिस्री तो घोल

क्या खोना और क्या पाना है
कभी तो फ़ुर्सत से तू तोल

शाम हुई मयखाने चल
नासेह की अब खुलेगी पोल

लम्बी रेस का घोड़ा हो जा
दुनिया है ये बिलकुल गोल

दिल की बात रहे दिल में
जज़्बातों का कुछ नहीं मोल

ख़ुदा मान ले उसको तू
जिसके गले में होगा ढोल

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