Sunday 9 February 2014

प्लूटो


मुझसे क्या चाहता हैै नहीं बोलता ।
एकटक देखता रहता है ।
मेरी गोद में आ कर बस जाए बस यही सवाल करता है ।
अपने दर्द को भुलाकर मेरी शान की आज भी गवाही देता है ।
 ज़रज़राते पैैर बहुत भारी हो गए हैं,
दिल में हक से रहता है ।
उम्र के बढ़ते ट्रैफिक में ज़िंदगी और मौत की रस्साकसी ज़ारी है ।
ख़ुदा का लिहाज़ न होता
 तो मेरा दिल भी फूट फूट कर रोता ।
किसी दिन ये भी खाली मिठाई का डिब्बा रह जाएगा,
 और हम 'डायबिटीज़' के साथ आगे चल देंगे ।

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